Raneh Falls :- Raneh Falls is a natural waterfall located in the Ken river in Chhatarpur district of Madhya Pradesh state of India. The Ken River forms a 3 mil long and 98 ft deep canyon, which is made of pure crystalline granite in shades of red and pink and gray. Many waterfalls are formed in this Raneh Falls in the rainy season, this waterfall is not perennial. Raneh Falls is a waterfall located in the Ken Sanctuary. There are deep and narrow valleys made up of abundant granite and dolomite igneous rocks.
Precious stones like quartzite and conglomerate are found in this Raneh Falls. These rocks are formed due to the cooling of volcanic lava present in this Raneh Falls. These are Panchrangi rocks, this is the only place in India, there are five colored igneous rocks present, when a large amount of water flows from these rocks in the rainy season, then this view looks very picturesque. These rocks are called canyons.
When the sun falls on these rocks, its flicker looks very lovely. These are igneous rocks formed by volcanic eruptions. These igneous rocks are spread over an area of about 5 km. Ken Gharial Century has an old ruined palace which is completely broken. In this palace, when the rulers of Bundelkhand princely came on hunting, they used to stay in these palaces.
The fast falling water from Raneh Falls presents a unique beauty of nature. Many waterfalls can be seen in this sanctuary during the rainy season. But the beauty of Raneh Falls mesmerizes the people. It is not a perennial spring.
How to reach: - Bus route - is present at a distance of 19 km from Khajuraho, from here a bus is available every one hour.
रनेह जलप्रपात :- भारत वर्ष के मध्य प्रदेश राज्य के छतरपुर जिले में केन नदी में स्थित रनेह जलप्रपात एक प्राकृतिक झरना है। केन नदी ३ मिल लंबी और ९८ फ़ीट गहरी घाटी का निर्माण करती है, जोकि लाल और गुलाबी तथा ग्रे रंग की शुद्ध क्रिस्टलीय ग्रेनाइट से बनी हुई है। इस रनेह जलप्रपात में वर्षा ऋतु में अनेको झरने बनते है ,यह झरना बारहमासी नहीं है। रनेह जलप्रपात केन अभयारण्य में स्थित एक झरना है। यहाँ पर भरपूर मात्रा में ग्रेनाइट और डोलोमाइट की आग्नेय चट्टानें से बनी गहरी और संकरी घाटियां है।
इस रनेह फॉल में कवार्टलाइट व कांग्लोमरेट जैसी बेसकीमती पत्थर पाए जाते है। इस रनेह फॉल में मौजूद चट्टानों का निर्माण ज्वालामुखी के लावा के ठन्डे होने से इन चट्टानों का निर्माण हुआ है। ये पंचरंगी चट्टानें है ,यह भारत में एक मात्र ऐसी जगह है , यहां पर पांच रंगो की आग्नेय चट्टानें मौजूद है जब वर्षा ऋतु में भारी मात्रा में जल इन चटटनो से बहती है तो देखने में यह दृश्य बहुत ही मनोरम दिखता है। इन चटटनो को कैनियन कहते है।
इन चट्टानों पर जब धूप पड़ती है तो इसकी झिलमिलाहट बहुत ही प्यारी लगती है | ये आग्नेय चट्टानें जो की ज्वालामुखी विस्फोट से बानी हुई है | यह आग्नेय चट्टानें करीब ५ किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है | केन घड़ियाल सेंचुरी में एक पुराना खंडहर महल है जोकि बिलकुल टूट गया है | इस महल में बुंदेलखंड रियासत के शासक जब शिकार पर आते थे तो इन्ही महलो में रुका करते थे यहाँ पर एक संग्रहालय है जहाँ पर झरने के अनेको चित्र तथा विभिन्न प्रकार के पशु पंछियो के कलाकृति मौजूद है |
रनेह जलप्रपात से तीव्र गति से गिरता हुआ जल प्रकृति का अनूठा सौंदर्य प्रस्तुत करता है। इस अभ्यारण्य में वर्षा ऋतु में अनेको झरने देखने को मिल जाते है। लेकिन रनेह फॉल की सुंदरता लोगो को मंदमुगध कर देती है। यह बारहमासी झरना नहीं है।
कैसे पहुंचे :- बस मार्ग -खजुराहो से १९ किलोमीटर की दुरी पर मौजूद है यहाँ से हर एक घंटे पर बस मिल जाती है ।