History of Panna:- Panna district was originally the Gaur region from the 13th to 17th century. In 1675, Raja Chhatrasal ruled in Bundelkhand. His rule was in the entire Bundelkhand. According to the orders of Swami Prannath ji, the spiritual guru of Maharaja Chhatrasal, the importance of Panna district increased manifold since then Maharaj Chhatrasal had made Panna as his capital since then Panna district came to be known as the city of Maharaj Chhatrasal. It is said, 17th In the century when the Chandelas had defeated the Gaur, then they took control of this entire region.
At the same time, the Padmavati Dham temple was established here. The first freedom struggle was in 1856, Raja Nirpal Singh, who supported the British. Due to this the British were happy and honored him with the title of Maharaja. Panna district was made it's capital after the death of Aurangzeb in 1707 of Bundela King Chhatrasal. The Mughal emperor Bahadur Shah had gone to the society in 1708 to the power of Chhatrasal power. Maharaj Chhatrasal revolted against the Mughal Empire, in 1732 his kingdom was divided.
Out of which one-third of the state was given to the ally Maratha ruler Bajirao I. The kingdom of Panna was given to the eldest son of Chhatrasal. Whose name was Hridayshah who was also known as Hardev Shah or Hirdeshah? Panna district was the first king of the princely state of Madhya Pradesh who ruled from 1731 to 1739. In the 19th century, the princely state of Panna became a princely state of the British rulers. In ancient times, Panna used to be on the other side of the Kilkila river, where the kingdom was ruled by the Gaur and Kol people.
The Purana Mahal of King Chhatrasal is present at a distance of 2 miles from Panna. The palace still exists in the form of ruins. Panna district had a name of Panna during the 18th and 19th centuries, which is still mentioned in the then state papers. In 1901, the area of Panna district was 6724 km square and there were 1008 villages under it.
Ancient History of Panna:- Siddhanath temple was built in the 6th century in the Panna district which is situated near Patna Tamoli village. The craftsmanship here and there used to be a 108 Kundiya grand temple in this temple. It is said that the Siddhanath temple is where Agastamuni did penance. And Bodhigai mountain is also situated in the south, on that too Agastamuni did penance. It is said that when Lord Rama went on exile for 14 years, he went to this divine place Siddhanath temple, and met Agastmuni. Which is also mentioned in Ramayana.
Agastmuni's ashram Saleha village where even today the Siddhanath temple exists. Lord Rama met Agastamuni and then later left for Chitrakoot. On the way from Panna to Pawai Tehsil, the holy place Brihaspati Kund near Brijpur, the ashram of Rishi Sutikshan near Sarangpur, the ashram of Rishi Agni Singh near Badgaon. It is said that the Viratnagar of Mahabharata period, whose identity is still recognized by the people of this place.
It is said that Pandavas stayed at this place for most of their time. Pandavas had made their abode at the time of anonymity in Pandava Falls and Pandava Caves. The birthplace of Guru Chanakya, the ruler of the Maurya dynasty, Chandragupta Maurya, is said to be around Chaumukhnath temple, 4 km from Saleha village in Panna district.
पन्ना की स्थापना :- सन १९२१ में पन्ना में नगर पालिका का गठन हुआ था | फिर १ अप्रैल १९४९ के पहले पन्ना जिला विंध्य प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था | जिसे १ नवंबर १९५६ को मध्य प्रदेश में मिलाया गया | पन्ना जिले को २० अक्टूबर १९७२ में सागर संभाग की स्थापना हुई इसके पहले पन्ना रीवा संभाग में आता था |
पन्ना की स्थिति :- उत्तर में बाँदा जिला व पूरब में सतना जिला और दक्षिण में कटनी और दमोह जिला तथा पश्चिम में छतरपुर जिला स्थित है|
पन्ना की भगौलिक स्थिति :- पन्ना जिला भारत देश के मध्य में स्थित मध्य प्रदेश राज्य में है| पन्ना जिला अपनी अदभूत भौगोलिक स्थति २४°४३' उत्तर तथा ८०°१२' पूर्व के बीच स्थित है | पन्ना की समुद्र ताल से ऊंचाई १३३२ फ़ीट (४१६ मीटर ) की ऊंचाई पर स्थित है |
पन्ना का इतिहास :- पन्ना जिला मूल रूप से १३वी से १७वी शताब्दी तक गौड़ क्षेत्र था। १६७५ में बुंदेलखंड में राजा छत्रसाल का शासन चलता था। उनका शासन पुरे बुंदेलखंड में था। महाराजा छत्रसाल के आध्यत्मिक गुरु स्वामी प्राणनाथ जी के आदेशानुसार महाराज छत्रसाल ने पन्ना को अपनी राजधानी बनाया था तब से पन्ना जिला का महत्व कई गुना बढ़ गया,तब से पन्ना जिला को महाराज छत्रसाल के नगर के रूप में जाने जाना लगा कहा जाता है, १७वी शताब्दी में चन्देलों ने जब गौड़ को हराया था फिर इस पूरे क्षेत्र पर अपना अधिकार कर लिए था।
उसी समय यहाँ पर पद्मावती धाम मंदिर की स्थापना कराया गया था। प्रथम स्वत्रंता संग्राम सन १८५६ में राजा निरपालसिंह जिन्होंने अंग्रेजो का साथ दिया था। जिससे अंग्रेजो ने खुश होकर उन्हें महाराजा के उपाधि से सम्मानित किया था। पन्ना जिला को बुंदेला नरेश छत्रसाल के सन १७०७ में औरंगजेब की मृत्यु के बाद इसे अपनी राजधानी बनाया था। मुग़ल सम्राट बहादुरशाह ने सन १७०८ में छत्रसाल की सत्ता की ताकत को समाज गया था।महाराज छत्रसाल ने मुग़ल साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह किया ,१७३२ में उनकी राज्य का बटवारा हुआ।
जिसमे से राज्य का एक तिहाई हिस्सा सहयोगी मराठा शासक बाजीराव प्रथम को दे दिया गया था। पन्ना राज्य छत्रसाल के जेष्ठ पुत्र को मिला। जिनका नाम हृदयशाह था जिन्हे हरदेव शाह या हिरदेशाह के नाम से भी जाना गया। मध्य प्रदेश राज्य पन्ना जिला रियासत के प्रथम राजा थे जिन्होंने १७३१ से १७३९ तक अपना शासन किया था। १९वी सदी में पन्ना रियासत ब्रिटिश शासको की रियासत बन गई थी। प्राचीन काल में पन्ना किलकिला नदी के उस पार हुआ करती थी ,जहा राज्य गौड़ और कोल लोगो का राज्य था।
पन्ना से २ मिल की दुरी पर राजा छत्रसाल का पुराण महल मौजूद है। जो आज भी खंडहर के रूप में महल मौजूद है। पन्ना जिला को १८वी और १९वी सदी के समय इसका एक नाम पर्णा भी था जिसका उल्लेख अभी भी तत्कालीन राज्यपत्रो में भी देखने को मिलता है। सन १९०१ में पन्ना जिले का क्षेत्रफल ६७२४ किलोमीटर वर्ग था और इसके अंतर्गत १००८ गांव आते थे।
पन्ना का प्राचीन इतिहास :- पन्ना जिला में ६वी शताब्दी में बना सिद्धनाथ मंदिर जो पटना तमोली गांव के पास स्थित है। यहाँ की शिल्प कला तथा इस मंदिर में कभी १०८ कुंडीय भव्य मंदिर भी हुआ करता था। कहा जाता है, की सिद्धनाथ मंदिर जहां पर अगस्तमुनि ने तपस्या किया था। और बोधिगयी पहाड़ भी दक्षिण ने स्थित है, वह पर भी अगस्तमुनि ने तपस्या किया था। कहते है की जब भगवन राम १४ वर्ष के वनवास पर गए थे तो उन्होंने इस दिव्य स्थान सिद्धनाथ मंदिर में जाकर अगस्तमुनि से मुलाकात किया था। जिसका जिक्र रामायण में भी है।
अगस्तमुनि का आश्रम सलेहा गांव जहाँ आज भी सिद्धनाथ मंदिर आज भी मौजूद है। भगवन राम अगस्तमुनि से भेट की फिर बाद में चित्रकूट के लिए रवाना हो गए थे। रास्तें में भगवान रामचंद्र ने पन्ना से पावै तहसील के पास पवित्र स्थल बृजपुर के निकट बृहस्पति कुंड ,सारंगपुर के निकट सुतिक्षण ऋषि का आश्रम ,बड़गाव के पास ऋषि अग्नि सिंह का आश्रम है। कहा जाता है की महाभारत काल के विराटनगर जिसके पहचान आज भी यहाँ के लोग बरहटा से ही करते है।
कहा जाता है की पांडवो ने अपना अधिकतर समय इसी स्थान पर रुके थे। पांडव फॉल व पांडव गुफा में पांडवो ने अपना अज्ञातवाश के समय निवास स्थान बनाया था। मौर्या वंश के शासक चन्द्रगुप्त मौर्या के गुरु चाणक्य की जन्म स्थली पन्ना जिला के सलेहा गांव से ४ किलोमीटर दूर चौमुखनाथ मंदिर के आसपास बताया जाता है।