Matangeshwar Mahadev Temple Khajuraho of Madhya Pradesh is considered a famous tourist spot. Apart from being a tourist spot, it is also famous as a place of pilgrimage. Matangeshwar Mahadev Temple in Khajuraho is the main center of people's faith. The Shivling located in the temple is 9 feet inside the ground and equally outside. Not only this, the length of this Shivling present in the temple increases by one inch every year on the day of Sharad Purnima. The officers here measure it with inch tape. At the same time, according to the priest of the temple, every year on the day of Sharad Purnima of the month of Kartik, the length of Shivling increases equal to the size of a sesame seed. To measure the length of the Shivling, the employees of the tourism department measure it with an inch tape. Where Shivling is found longer than before. The specialty of the temple is that the more this Shivling moves towards the top, the more it moves towards the bottom. People throng the temple to see this wonderful miracle of Shivling. Although this temple is full of devotees throughout the year, but in the month of Sawan, there is an influx of devotees. People stand in long lines to have darshan.
Situated near the Laxman temple, this temple is in a square radius of 35 feet. Its sanctum sanctorum is also square. The entrance is on the east side. The shikhara of the temple is multi-storeyed. Its construction period is believed to be around 900 to 925 AD. This temple was built during the time of Chandela ruler Harshadeva. The sanctum sanctorum of the temple has a huge Shivling which is 8.5 feet high. Its circumference is about 4 feet. People also know this Shivling by the name of Mrityunjay Mahadev.
Matangeshwar Mahadev Temple is considered to be the tallest temple in Khajuraho. According to mythology, Lord Shankar had a turquoise gem, which was given by Shiva to Yudhishthira, the brother of the Pandavas. From Yudhishthira, she reached Mani Matang Rishi and he gave it to King Harshavarman. Because of the gem of Matang Rishi, he was named Matangeshwar Mahadev, because the gem was buried in the ground in the middle of the Shivling for safety. Since then the gem is under the Shivling.
Secrets of the temple :-
Timing:- Matangeshwar Temple Khajuraho opens its doors for the pilgrims from 6 A.M. to 10 P.M.
How To Reach :- By Air :- Reaching this place of beautiful temples is one of easiest thing to do as there are direct flights from capital of India – Delhi. All the major carriers like JetLite, Air India, Jet Konnect, Jet Airways, Indian Airlines, Indigo, Spicejet take you there. Other major cities like Mumbai and Kolkata. Khajuraho has only one airport for domestic flights. As of now there are no direct International flights. This airport is integrated with all international facilities, duty free shopping, medical aid and ready – to – eat caffeteria
Bus Route:- Most nearby bus stand is Chhatarpur Bus Stand to airport. Its around 29 miles from airport. However, its good to take a taxi rather then a bus.
Train:- In Khajuraho itself, you will get to see the facility of railway station, which is connected to some major railway stations of the country like Delhi, Mumbai, Bhopal, Ahmedabad, Patna, Varanasi, Barauni, Udaipur, Prayagraj and Jaipur. If there is no direct train facility for Khajuraho, you can catch a train from your city to Kanpur, Jabalpur or Gwalior Junction, from where the distance of Khajuraho Junction is about 240 km., 250 km. and 275 kms. Is. For these three cities, you will get to see the train availability from many small and big cities of the country.
From Kanpur Central, Jabalpur Junction and Gwalior Junction, you can easily reach Khajuraho via bus or taxi, but if we talk about the train, then for Khajuraho Railway Station, train facility will be available from these three cities only from Gwalior Junction. . Not a single train facility has been made available between Kanpur and Jabalpur Junction to Khajuraho.
How to reach Khajuraho by bike and car - Friends, you will not have any problem in going to Khajuraho by your bike or car, because Khajuraho is a historical city of India, where there are many temples and historical tourist places. To reach here you can reach from any city of the country. When visiting Khajuraho, you should not worry at all about the condition of the roads. All the things you need will also be easily available in Khajuraho. You will get to see good facilities from food and drink to hotels in Khajuraho.
How to reach Khajuraho by taxi – You can easily reach Khajuraho by taking a private taxi from your city, but if you have less budget, then you can go to Khajuraho by booking a private taxi from Jabalpur, Kanpur, Prayagraj or Bhopal. If you wish, you can book another private taxi from Khajuraho to visit all the tourist places and temples of Khajuraho.
मतंगेश्वर महादेव मंदिर मध्यप्रदेश का खजुराहो बहुप्रसिद्ध टूरिस्ट स्पॉट माना जाता है। यह टूरिस्ट स्पॉट होने के साथ-साथ तीर्थ स्थल के रुप में भी प्रसिद्ध है। खजुराहों में मतंगेश्वर महादेव मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मंदिर में स्थित शिवलिंग 9 फीट जमीन के अंदर और उतना ही बाहर भी है। यही नहीं इसके अलावा मंदिर में मौजूद इस शिवलिंग की हर साल शरद पूर्णिमा के दिन एक इंच लंबाई बढ़ती है। इसे यहां के अधिकारी इंची टेप से नापते हैं। वहीं मंदिर के पुजारी के अनुसार प्रति वर्ष कार्तिक माह की शरद पूर्णिमा के दिन शिवलिंग की लंबाई एक तिल के आकार के बराबर बढ़ जाती है। शिवलिंग की लंबाई नापने के लिए पर्यटन विभाग के कर्मचारी बकायदा इंची टेप से नापते हैं। जहां शिवलिंग पहले से तुलना में लंबा मिलता है। मंदिर की विशेषता यह है की यह शिवलिंग जितना ऊपर है की तरफ बढ़ता है उतना ही नीचे की तरफ भी बढ़ता है। शिवलिंग का यह अद्भुत चमत्कार देखने के लिए लोगों का सैलाब मंदिर में उमड़ता है। वैसे तो यह मंदिर भक्तों से सालभर भरा रहता है लेकिन सावन माह में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। दर्शन करने के लिए लोग लंबी लाइनों में लगे रहते हैं।
लक्ष्मण मंदिर के पास स्थित यह मंदिर 35 फीट के वर्गाकार दायरे में है। इसका गर्भगृह भी वर्गाकार है। प्रवेश द्वार पूरब की ओर है। मंदिर का शिखर बहुमंजिला है। इसका निर्माण काल 900 से 925 ई के आसपास का माना जाता है। चंदेल शासक हर्षदेव के काल में इस मंदिर का निर्माण हुआ। मंदिर के गर्भगृह में विशाल शिवलिंग है जो 8.5 फीट ऊंचा है। इसका घेरा तकरीबन 4 फीट का है। इस शिवलिंग को मृत्युंजय महादेव के नाम से भी लोग जानते हैं।
मतंगेश्वर महादेव मंदिर को खजुराहो में सबसे ऊंचा मंदिर माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शंकर के पास मरकत मणि थी, जिसे शिव ने पांडवों के भाई युधिष्ठिर को दे दी थी। युधिष्ठिर के पास से वह मणि मतंग ऋषि पर पहुंची और उन्होंने राजा हर्षवर्मन को दे दी। मतंग ऋषि की मणि की वजह से ही इनका नाम मतंगेश्वर महादेव पड़ा, क्योंकि शिवलिंग के बीच मणि सुरक्षा की दृष्टि से जमीन में गाड़ दी गई थी। तब से मणि शिवलिंग के नीचे ही है।
मंदिर के रहस्य :-
Timing:- मातंगेश्वर मंदिर खजुराहो के कपाट श्रद्धालुओं के लिए सुबह 6 बजे से खुल जाते हैं। रात 10 बजे तक
कैसे पहुंचे :- हवाई मार्ग :- खजुराहो एयरपोर्ट से 2 KM की दुरी पर स्थित है | सुंदर मंदिरों के इस स्थान तक पहुंचना सबसे आसान काम है क्योंकि भारत की राजधानी - दिल्ली से सीधी उड़ानें हैं। जेटलाइट, एयर इंडिया, जेट कनेक्ट, जेट एयरवेज, इंडियन एयरलाइंस, इंडिगो, स्पाइसजेट जैसे सभी प्रमुख वाहक आपको वहां ले जाते हैं। अन्य प्रमुख शहर जैसे मुंबई और कोलकाता। खजुराहो में घरेलू उड़ानों के लिए केवल एक हवाई अड्डा है। अभी तक कोई सीधी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें नहीं हैं। यह हवाई अड्डा सभी अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं, शुल्क मुक्त खरीदारी, चिकित्सा सहायता और रेडी-टू-ईट कैफेटेरिया के साथ एकीकृत है
बस रूट:- खजुराहो के लिए आपको जबलपुर, भोपाल और इंदौर के साथ-साथ मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों से कई बसें मिल जाएंगी। साथ ही प्रयागराज, ग्वालियर और कानपुर जैसे शहरों से भी खजुराहो के लिए डायरेक्ट बस की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। अगर आप देश के अन्य शहरों से खजुराहो जाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो अपने शहर से जबलपुर, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी,भोपाल और इंदौर जैसे शहरों के लिए बस पकड़ सकते हैं और वहां से दूसरी बस या प्राइवेट टैक्सी की सुविधा लेकर खजुराहो जा सकते हैं।
ट्रेन:- खजुराहो में ही आपको रेलवे स्टेशन की सुविधा देखने को मिल जाएगी, जो दिल्ली, मुंबई, भोपाल, अहमदाबाद, पटना, वाराणसी, बरौनी, उदयपुर, प्रयागराज और जयपुर जैसे देश के कुछ बड़े रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है। खजुराहो के लिए डायरेक्ट ट्रेन की सुविधा ना मिलने पर आप कानपुर, जबलपुर या ग्वालियर जंक्शन के लिए अपने शहर से ट्रेन पकड़ सकते हैं, जहां से खजुराहो जंक्शन की दूरी करीब 240 किमी., 250 किमी. और 275 किमी. है। इन तीनों शहरों के लिए आपको देश के काफी सारे छोटे और बड़े शहरों से ट्रेन की उपलब्धि देखने को मिल जाएगी।
कानपुर सेंट्रल, जबलपुर जंक्शन और ग्वालियर जंक्शन से आप बस या टैक्सी के माध्यम से आसानी से खजुराहो पहुंच सकते हैं, लेकिन अगर बात करें ट्रेन की तो खजुराहो रेलवे स्टेशन के लिए इन तीनों शहरों में से सिर्फ ग्वालियर जंक्शन से ही ट्रेन की सुविधा मिल पाएगी। कानपुर और जबलपुर जंक्शन से खजुराहो के बीच ट्रेन की एक भी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है।
बाइक और कार से खजुराहो कैसे पहुंचे - दोस्तों आपको अपनी बाइक और कार से खजुराहो जाने में कोई भी परेशानी नहीं होगी, क्योंकि खजुराहो भारत का एक ऐतिहासिक शहर है, जहां पर कई सारे मंदिर और ऐतिहासिक पर्यटन स्थल मौजूद हैं। यहां पर पहुंचने के लिए आप देश के किसी भी शहर से पहुंच सकते हैं। खजुराहो जाने पर आपको सड़कों की स्थिति को लेकर तनिक भी चिंता नहीं करनी चाहिए। खजुराहो में आपकी जरूरत की सभी समान भी आसानी से उपलब्ध हो जाएंगे। खाने-पीने से लेकर होटल की भी अच्छी सुविधा आपको खजुराहो में आपको देखने को मिल जाएंगे।
टैक्सी से खजुराहो कैसे पहुंचे – आप अपने शहर से भी प्राइवेट टैक्सी लेकर खजुराहो आसानी से पहुंच सकते हैं, लेकिन अगर आपके पास बजट कम है, तो आप जबलपुर, कानपुर, प्रयागराज या भोपाल से भी प्राइवेट टैक्सी बुक करके खजुराहो जा सकते हैं। अगर आप चाहें तो खजुराहो से दूसरी प्राइवेट टैक्सी बुक करके खजुराहो के सभी पर्यटन स्थलों एवं मंदिरों को विजिट कर सकते हैं।