Jugal Kishore Temple

Jugal Kishore Temple

मध्य प्रदेश के पन्ना जिले मे स्थित जुगल किशोर जी मंदिर का निर्माण बुन्देलखण्ड राज्य के चौथे शासक हिंदूपत सिंह मे अपने शासनकाल के समय सन् 1758 से 1778 तक किया गया था कहाँ जाता है कि जुगल किशोर जी की मूर्ति जो गर्भगृह में रखी है उसे ओरछा के रास्ते इसे वृन्दावन से पन्ना जिले लाया गया था। भगवान जुगल किशोर जी के श्रृंगार मे जो आभूषण और पोशाक का उपयोग किया जाता है वो सभी बुंदेलखंडी शैली को दर्शाते है। भगवान जगुल किशोर जी की मुरली मे लाखो के हीरे जड़े हुए है।

भगवान जुगल किशोर जी बुन्देलखण्ड के आराध्य देव के रूप मे पूजे जाते है। कहा जाता है श्रद्धा भाव से इस मंदिर मे जो वर मांगा जाता है, वो जरूर पूर्ण होता है। जुगल किशोर जी के दर्शन के लिए पूरे भारत से श्रद्धालु दर्शन को आते है। किन दंतियो के अनुसार भगवान जुगल किशोर जी के राज्य मे कोई भूखा नही रहता इसलिए भगवान को दोपहर 2:30 पर और रात को 10:30 तक आरती होती है। इस समय तक समान्यतः सभी लोग दिन व रात का भोजन कर चुके होते है।

कैसे प्रकट हुये भगवान जुगल किशोर जी: एक कथा के अनुसार, कहा जाता है कि प्रसिद्ध संत स्वामी हरिराम व्यास जी को भगवान ठाकुर जी सपने मे आए और वह कहने लगे के मुझे इस कुए से बाहर निकालो इसे मंदिर स्थापित करिये फिर हरिराम व्यास जी ने सपने के कहे अनुसार प्रभु को कुए से निकालकर मंदिर मे स्थापित किया यह मूर्ति माघ शुक्ल एकादशी को वृंदावन के किशोरवन नामक स्थान पर मिली। फिर उस मूर्ति को वही पर प्रतिष्ठित कर दिया गया। फिर कुछ समय बाद ओरछा के राजा मध्युकर शाह ने किशोरवन के पास मे ही मंदिर का निर्माण करवाया। अनेको वर्षो तक भगवान इसी स्थान पर विराजमान रहे, जब भारत मे मुगल शासको के हमले बहुत तेज हुए तो उस समय भक्तो ने उन्हें वहाँ से ओरछा के रास्ते पन्ना जिले लाये गये थे। उस समय के पन्ना नरेश ने 1756 ई० मे मंदिर का निर्माण कराया जिसमे प्रभु की मूर्ति को स्थापित किया गया था।

भगवान जुगल किशोर जी के मंदिर मे जन्माष्टमी पर्व ‘बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और जुगल किशोर जी के जन्मदिवस पर 11 तोपों की सलामी भी दी जाती है। बुन्देलखण्ड निवासियों के लिए प्रभु जुगल किशोर का मंदिर बहुत ही आस्था का केन्द्र है यहां पर हर अमावस्या के दिन बुन्देलखण्ड के श्रद्धालु भगवान के दर्शन करने अवश्य आते हैको चढ़ा सकते हैं।

मंदिर दर्शन का समय: सुबह 5 से 7 बजे, दोपहर 12 से 1 बजे और शाम 7 से 11 बजेे प्रॉब्लम हो सकती है।

जुगल किशोर मंदिर पन्ना जिला के बहुत भीड़भाड़ वाले इलाके मे स्थित है। मंदिर परिसर के बाहर आपको बहुत सारी दुकाने देखने को मिल जायेगी, जहां पर कुछ प्रसाद की दुकाने और कुछ मिठाइयों की भी दुकाने मौजूद है आप यहां से प्रसाद और मिठाइयां खरीदकर भगवान को चढा सकते है। जुगल किशोर मंदिर के बाहर गाड़ियों के पार्किंग की भी अच्छी सुविधा है, जहां आप अपनी छोटी और बड़ी गाड़ियों को खड़ा कर सकते है। श्री भगवान जुगल किशोर मंदिर में राधा और कृष्णा की सुन्दर और भव्य प्रतिमा विराजमान है। इस मंदिर मे भगवान श्रीकृष्ण की श्याम रंग की प्रतिमा तथा राधाराने की श्वेत रंग की प्रतिमा विद्यमान है। यहां की मूर्ति की शोभा बहुत ही अनुपम है। मंदिर परिसर को बड़े बड़े झुमर और सुन्दर पेटिंग से सजाया गया है। मंदिर के द्धार के सामने एक छोटा सा हनुमान जी का मंदिर है।

मध्य प्रदेश के पन्ना जिले मे स्थित जुगल किशोर जी मंदिर का निर्माण बुन्देलखण्ड राज्य के चौथे शासक हिंदूपत सिंह मे अपने शासनकाल के समय सन् 1758 से 1778 तक किया गया था कहाँ जाता है कि जुगल किशोर जी की मूर्ति जो गर्भगृह में रखी है उसे ओरछा के रास्ते इसे वृन्दावन से पन्ना जिले लाया गया था। भगवान जुगल किशोर जी के श्रृंगार मे जो आभूषण और पोशाक का उपयोग किया जाता है वो सभी बुंदेलखंडी शैली को दर्शाते है। भगवान जगुल किशोर जी की मुरली मे लाखो के हीरे जड़े हुए है।

भगवान जुगल किशोर जी बुन्देलखण्ड के आराध्य देव के रूप मे पूजे जाते है। कहा जाता है श्रद्धा भाव से इस मंदिर मे जो वर मांगा जाता है, वो जरूर पूर्ण होता है। जुगल किशोर जी के दर्शन के लिए पूरे भारत से श्रद्धालु दर्शन को आते है। किन दंतियो के अनुसार भगवान जुगल किशोर जी के राज्य मे कोई भूखा नही रहता इसलिए भगवान को दोपहर 2:30 पर और रात को 10:30 तक आरती होती है। इस समय तक समान्यतः सभी लोग दिन व रात का भोजन कर चुके होते है।

कैसे प्रकट हुये भगवान जुगल किशोर जी: एक कथा के अनुसार, कहा जाता है कि प्रसिद्ध संत स्वामी हरिराम व्यास जी को भगवान ठाकुर जी सपने मे आए और वह कहने लगे के मुझे इस कुए से बाहर निकालो इसे मंदिर स्थापित करिये फिर हरिराम व्यास जी ने सपने के कहे अनुसार प्रभु को कुए से निकालकर मंदिर मे स्थापित किया यह मूर्ति माघ शुक्ल एकादशी को वृंदावन के किशोरवन नामक स्थान पर मिली। फिर उस मूर्ति को वही पर प्रतिष्ठित कर दिया गया। फिर कुछ समय बाद ओरछा के राजा मध्युकर शाह ने किशोरवन के पास मे ही मंदिर का निर्माण करवाया। अनेको वर्षो तक भगवान इसी स्थान पर विराजमान रहे, जब भारत मे मुगल शासको के हमले बहुत तेज हुए तो उस समय भक्तो ने उन्हें वहाँ से ओरछा के रास्ते पन्ना जिले लाये गये थे। उस समय के पन्ना नरेश ने 1756 ई० मे मंदिर का निर्माण कराया जिसमे प्रभु की मूर्ति को स्थापित किया गया था।

भगवान जुगल किशोर जी के मंदिर मे जन्माष्टमी पर्व ‘बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और जुगल किशोर जी के जन्मदिवस पर 11 तोपों की सलामी भी दी जाती है। बुन्देलखण्ड निवासियों के लिए प्रभु जुगल किशोर का मंदिर बहुत ही आस्था का केन्द्र है यहां पर हर अमावस्या के दिन बुन्देलखण्ड के श्रद्धालु भगवान के दर्शन करने अवश्य आते हैको चढ़ा सकते हैं।

मंदिर दर्शन का समय: सुबह 5 से 7 बजे, दोपहर 12 से 1 बजे और शाम 7 से 11 बजेे प्रॉब्लम हो सकती है।

जुगल किशोर मंदिर पन्ना जिला के बहुत भीड़भाड़ वाले इलाके मे स्थित है। मंदिर परिसर के बाहर आपको बहुत सारी दुकाने देखने को मिल जायेगी, जहां पर कुछ प्रसाद की दुकाने और कुछ मिठाइयों की भी दुकाने मौजूद है आप यहां से प्रसाद और मिठाइयां खरीदकर भगवान को चढा सकते है। जुगल किशोर मंदिर के बाहर गाड़ियों के पार्किंग की भी अच्छी सुविधा है, जहां आप अपनी छोटी और बड़ी गाड़ियों को खड़ा कर सकते है। श्री भगवान जुगल किशोर मंदिर में राधा और कृष्णा की सुन्दर और भव्य प्रतिमा विराजमान है। इस मंदिर मे भगवान श्रीकृष्ण की श्याम रंग की प्रतिमा तथा राधाराने की श्वेत रंग की प्रतिमा विद्यमान है। यहां की मूर्ति की शोभा बहुत ही अनुपम है। मंदिर परिसर को बड़े बड़े झुमर और सुन्दर पेटिंग से सजाया गया है। मंदिर के द्धार के सामने एक छोटा सा हनुमान जी का मंदिर है।

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