कुंडलपुर, दमोह – एक पवित्र जैन तीर्थस्थल, कुंडलपुर, मध्य प्रदेश के दमोह जिले में स्थित एक प्रमुख जैन तीर्थस्थल है। यह स्थान प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक आस्था का अनूठा संगम है। कुंडलपुर को जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के समय से ही अत्यंत पवित्र माना जाता है।
मुख्य आकर्षण
बड़े बाबा की प्रतिमा – कुंडलपुर में भगवान आदिनाथ (ऋषभदेव) की 15 फीट ऊँची प्रतिमा स्थापित है, जिसे भक्तगण “बड़े बाबा” के नाम से पूजते हैं।
58 जिनालयों का समूह – यहाँ 58 भव्य जैन मंदिर हैं, जिनमें प्राचीन और नवीन दोनों प्रकार की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
तोप वाला मंदिर – यह कुंडलपुर का सबसे ऊँचाई पर स्थित मंदिर है, जहाँ से आसपास के क्षेत्रों का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है।
भगवान बाहुबली की प्रतिमा – यहाँ भगवान बाहुबली की एक सुंदर प्रतिमा भी स्थित है, जो जैन धर्म के अहिंसा और तपस्या के संदेश को दर्शाती है।
महोत्सव और आयोजन
कुंडलपुर में प्रतिवर्ष जैन पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव और मस्तकाभिषेक जैसे धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
कैसे पहुँचे?
कुंडलपुर, दमोह जिले से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है, और निकटतम रेलवे स्टेशन दमोह है।
निष्कर्ष
कुंडलपुर एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है, जहाँ श्रद्धालु आत्मशुद्धि और शांति की खोज में आते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व के कारण यह स्थल पर्यटकों और भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
कुंडलपुर, दमोह – एक पवित्र जैन तीर्थस्थल, कुंडलपुर, मध्य प्रदेश के दमोह जिले में स्थित एक प्रमुख जैन तीर्थस्थल है। यह स्थान प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक आस्था का अनूठा संगम है। कुंडलपुर को जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के समय से ही अत्यंत पवित्र माना जाता है।
मुख्य आकर्षण
बड़े बाबा की प्रतिमा – कुंडलपुर में भगवान आदिनाथ (ऋषभदेव) की 15 फीट ऊँची प्रतिमा स्थापित है, जिसे भक्तगण “बड़े बाबा” के नाम से पूजते हैं।
58 जिनालयों का समूह – यहाँ 58 भव्य जैन मंदिर हैं, जिनमें प्राचीन और नवीन दोनों प्रकार की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
तोप वाला मंदिर – यह कुंडलपुर का सबसे ऊँचाई पर स्थित मंदिर है, जहाँ से आसपास के क्षेत्रों का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है।
भगवान बाहुबली की प्रतिमा – यहाँ भगवान बाहुबली की एक सुंदर प्रतिमा भी स्थित है, जो जैन धर्म के अहिंसा और तपस्या के संदेश को दर्शाती है।
महोत्सव और आयोजन
कुंडलपुर में प्रतिवर्ष जैन पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव और मस्तकाभिषेक जैसे धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
ये कथा है प्रचलित
जनश्रुति है कि पटेरा गांव में एक व्यापारी प्रतिदिन सामान बेचने के लिए पहाड़ी के दूसरी ओर जाता था। रास्ते में उसे रोज एक पत्थर की ठोकर लगती थी। एक दिन उसने मन बनाया कि वह उस पत्थर को हटा देगा, लेकिन उसी रात उसे स्वप्न आया कि वह पत्थर नहीं तीर्थंकर मूर्ति है। स्वप्न में उससे मूर्ति की प्रतिष्ठा कराने के लिए कहा गया, लेकिन शर्त थी कि वह पीछे मुड़कर नहीं देखेगा। उसने दूसरे दिन वैसा ही किया, बैलगाड़ी पर मूर्ति सरलता से आ गई। जैसे ही आगे बढ़ा उसे संगीत और वाद्यध्वनियां सुनाई दीं। उत्साहित होकर उसने पीछे मुड़कर देख लिया और मूर्ति वहीं स्थापित हो गई।
कैसे पहुँचे?
कुंडलपुर, दमोह जिले से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है, और निकटतम रेलवे स्टेशन दमोह है।
निष्कर्ष
कुंडलपुर एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है, जहाँ श्रद्धालु आत्मशुद्धि और शांति की खोज में आते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व के कारण यह स्थल पर्यटकों और भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
Shaded in the Panna district of Madhya Pradesh, the Pandav Falls grace the banks of Ken River and reign at a height of around 30 meters. Named after the Pandava brothers from the Indian Epic Mahabharata who are believed to have been there, the area is loaded with natural gems.